14 December 2010

खुशामद.....


एक नामुराद आशिक से किसी ने पूछा,

'कहो जी, तुम्हारी माशूका तुम्हें क्यों नहीं मिली।'

बेचारा उदास होकर बोला,

'यार कुछ न पूछो! मैंने इतनी खुशामद की कि उसने अपने को
सचमुच ही परी समझ लिया और हम आदमियों से बोलने में
परहेज किया।'.......



Dilshad saifi


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